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हिंदी साहित्य: परंपरा, प्रवृत्तियाँ और समकालीन परिप्रेक्ष्य (Volume - 1)
About Book
हिंदी साहित्य के ऐतिहासिक और आधुनिक विकास को समेटने वाला एक महत्वपूर्ण संकलन है। यह शोधार्थियों, शिक्षकों और लेखकों को अपने शोध व विचार प्रस्तुत करने का अवसर प्रदान करता है, जिससे हिंदी साहित्य को नई दिशा मिल सके।Scope
हिंदी साहित्य का ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य: हिंदी साहित्य का आदिकाल, वीरगाथा काल और उसके प्रमुख ग्रंथ, भक्तिकाल और इसके प्रमुख कवि, रीतिकाल और काव्य प्रवृत्तियाँ, आधुनिक हिंदी साहित्य का उद्भव, भारतेंदु युग और हिंदी नवजागरण, द्विवेदी युग और राष्ट्रीय चेतना, छायावाद और इसकी विशेषताएँ, प्रगतिवाद और यथार्थवादी साहित्य, प्रयोगवाद और नई कविता, समकालीन हिंदी साहित्य की प्रवृत्तियाँ। हिंदी काव्य परंपरा: महाकाव्य और खंडकाव्य परंपरा, भक्तिकालीन काव्य में समाज सुधार की भावना, तुलसीदास की काव्य दृष्टि, कबीर के दोहे और उनकी समाज सुधारक भूमिका, मीरा और उनके पदों की स्त्रीवादी दृष्टि, सूरदास की काव्य शैली, छायावादी काव्य में नारी का स्वरूप, प्रगतिवादी काव्य में मजदूर और किसान जीवन, आधुनिक हिंदी कविता में वैश्विक प्रभाव, हिंदी कविता में स्त्री विमर्श और नारीवादी चेतना। हिंदी गद्य साहित्य: हिंदी निबंध का विकास और प्रमुख निबंधकार, प्रेमचंद और हिंदी उपन्यास, अज्ञेय और प्रयोगवादी उपन्यास, हिंदी लघुकथा की परंपरा और प्रवृत्तियाँ, दलित विमर्श और हिंदी उपन्यास, यथार्थवाद और आधुनिक हिंदी कथा साहित्य, हिंदी नाटक की परंपरा और आधुनिक रंगमंच, व्यंग्य साहित्य और समकालीन व्यंग्यकार, हिंदी साहित्य में आत्मकथा लेखन, हिंदी गद्य साहित्य में सामाजिक चेतना। हिंदी आलोचना और पत्रकारिता: रामचंद्र शुक्ल का आलोचना सिद्धांत, हजारीप्रसाद द्विवेदी का आलोचनात्मक दृष्टिकोण, नामवर सिंह और आधुनिक आलोचना, दलित साहित्य की आलोचना दृष्टि, स्त्री विमर्श पर हिंदी आलोचना, हिंदी पत्रकारिता का इतिहास और विकास, पत्रकारिता और साहित्यिक लेखन, डिजिटल युग में हिंदी पत्रकारिता, हिंदी साहित्य में ब्लॉग और डिजिटल लेखन, साहित्यिक पत्रिकाओं का हिंदी साहित्य में योगदान। समकालीन हिंदी साहित्य और नई प्रवृत्तियाँ: उत्तर-आधुनिक हिंदी साहित्य, नवलेखन और समकालीन लेखक, हिंदी कथा साहित्य में नए प्रयोग, हिंदी साहित्य में साइंस फिक्शन, हिंदी साहित्य में प्रवासी लेखन, हिंदी साहित्य में बहुभाषी संवाद, सोशल मीडिया और हिंदी साहित्य, हिंदी साहित्य में डिजिटल प्लेटफॉर्म की भूमिका, हिंदी साहित्य और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), हिंदी साहित्य में नए विमर्श (पर्यावरण, आदिवासी, LGBTQ+)। दलित साहित्य और स्त्री विमर्श: दलित साहित्य की अवधारणा और विकास, हिंदी साहित्य में दलित चेतना, दलित आत्मकथाएँ और उनकी विशेषताएँ, हिंदी उपन्यासों में दलित विमर्श, स्त्री विमर्श और हिंदी कथा साहित्य, हिंदी कविता में स्त्रीवादी स्वर, समकालीन हिंदी साहित्य में नारीवादी लेखन, हिंदी साहित्य में सामाजिक न्याय की अवधारणा, हिंदी साहित्य में जाति और लिंग आधारित असमानताएँ, हिंदी साहित्य में समावेशी दृष्टिकोण। अनुवाद साहित्य और वैश्विक प्रभाव: हिंदी साहित्य का अन्य भाषाओं में अनुवाद, विदेशी साहित्य का हिंदी में अनुवाद, हिंदी साहित्य और विश्व साहित्य का अंतर्संबंध, हिंदी साहित्य में अनुवाद की परंपरा, भारतीय भाषाओं में हिंदी साहित्य का योगदान, हिंदी साहित्य में सांस्कृतिक अंतरण, हिंदी साहित्य में अनुवाद की चुनौतियाँ, हिंदी साहित्य और दक्षिण एशियाई परिप्रेक्ष्य, हिंदी साहित्य और अंतरराष्ट्रीय पहचान, वैश्विक साहित्य में हिंदी लेखकों की भूमिका। हिंदी सिनेमा और साहित्य का संबंध: हिंदी साहित्य और सिनेमा का अंतर्संबंध, हिंदी सिनेमा में साहित्यिक कृतियों का अनुवाद, प्रेमचंद और हिंदी सिनेमा, साहित्यिक कृतियों पर आधारित फिल्में, हिंदी सिनेमा और कथा साहित्य, हिंदी साहित्यकारों का फिल्म लेखन में योगदान, हिंदी सिनेमा में काव्य और गीत लेखन, हिंदी नाटकों का सिनेमा में रूपांतरण, समकालीन सिनेमा और हिंदी साहित्य, हिंदी सिनेमा में साहित्यिक संवाद। डिजिटल युग में हिंदी साहित्य: डिजिटल माध्यमों में हिंदी लेखन, हिंदी साहित्य में ऑनलाइन पत्रिकाओं की भूमिका, हिंदी साहित्य में ब्लॉग लेखन का महत्व, ई-पुस्तकों का हिंदी साहित्य पर प्रभाव, सोशल मीडिया और हिंदी साहित्य का प्रचार, हिंदी साहित्य में पॉडकास्ट और ऑडियोबुक, हिंदी साहित्यिक कंटेंट का यूट्यूब और डिजिटल मीडिया पर प्रभाव, हिंदी साहित्य में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) की भूमिका, डिजिटल माध्यमों में साहित्यिक आलोचना, हिंदी साहित्य और ऑनलाइन शिक्षण संसाधन।Deadline
25 Nov 2025Publication Fee
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